आंगनवाड़ी भवन न मिलने से किराए के केंद्रों मे चलाने को मजबूर
उत्तर प्रदेश में बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। केंद्रों पर सुविधाओं का भारी अभाव है, जिन केंद्रों पर बच्चों को पढ़ने के लिए आना पड़ता है, उनकी हालत काफी खराब हो गयी है.
प्रदेश की योगी सरकार ने आंगनबाडी केन्द्रों के भवनों के निर्माण के लिए बजट तो जारी कर दिया होगा, लेकिन जिला स्तर पर भवनों के निर्माण में ढिलाई बरती जा रही है। निर्माण एजेंसी इन भवनों के निर्माण में दिए गए समय को भी पूरा करने की तैयारी नहीं कर रही है।
औरैया जिले के बिधूना तहसील क्षेत्र में आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए जिम्मेदार कार्यदायी संस्था की ढिलाई के कारण पिछले चार वर्षों से निर्माण कार्य लटका हुआ है। तहसील की ग्राम पंचायत रामनगर के मजरा कल्यानपुर, भगवंतपुर व मऊ में निर्माण कार्य अधूरा होने के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों को किराए के भवनों व प्राथमिक विद्यालयों में संचालित करना पड़ रहा है।
शासन ने बिधूना ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत रामनगर के मजरा भगवंतापुर में 2018-19, ग्राम पंचायत महू में 2018-19 और कल्याणपुर में आंगनवाड़ी केंद्र के लिए 2019-20 में भवन निर्माण की मंजूरी दी थी। लेकिन चार साल से छह साल बीत जाने के बाद भी इन आंगनबाडी केंद्रों का निर्माण कार्य आज भी अधूरा है.
रामनगर के ग्राम प्रधान देवेन्द्र का कहना है कि आंगनबाडी केन्द्र का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था लेकिन कुछ दिन बाद ही काम बंद कर दिया गया। आंगनबाडी केंद्र का निर्माण पूरा कराने के लिए कई बार संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायती पत्र दिया जा चुका है, लेकिन चार वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य अभी तक रुका हुआ है।
एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार आंगनबाडी केंद्रों को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही हैं. इन केंद्रों पर बच्चों और महिलाओं की शिक्षा से लेकर पोषाहार वितरण और कुपोषण दूर करने तक का काम किया जाता है. लेकिन नियमित आंगनबाडी केंद्र नहीं होने के कारण आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को बच्चों की शिक्षा और महिलाओं को जानकारी देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए नियमित भवन नहीं होने के कारण केंद्रों के संचालन में काफी परेशानी होती है. किराए के भवनों में पर्याप्त जगह न होने से पोषाहार, तौल मशीन व रिकार्ड खराब होने का डर रहता है। वहीं सरकार की ओर से भवनों का किराया भी समय पर नहीं दिया जाता है, लेकिन विभाग की ओर से इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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निष्कर्ष – आंगनवाड़ी भवन न मिलने से किराए के केंद्रों मे चलाने को मजबूर
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